नवनाथ कथा
नवनाथ कथा १) मत्स्येंद्रनाथ : प्राचीनकाल से चले आ रहे नाथ संप्रदाय को गुरु मत्स्येंद्रनाथ और उनके शिष्य गोरक्षनाथ ने पहली बार व्यवस्था दी! गोरक्षनाथ ने इस संप्रदाय के बिखराव और इस संप्रदाय की योग विद्याओं का एकत्रीकरण किया! मत्स्येन्द्रनाथ हठयोग के परम गुरु माने गए हैं! इनकी समाधि उज्जैन के गढ़कालिका के पास स्थित है! मत्स्येन्द्रनाथ का एक नाम मीननाथ है! बहुत पहले उपरिचर नामक वसू आकाशमार्गसे जा रहा था ! जाते वक्त उर्वशी को देखकर उसका वीर्य यमुना नदी के पात्र मे गिरा! वो वीर्य मत्स्यीने खा लिया ! उस मत्स्यी के गर्भ मे कवीनारायण ने संचार किया ! आगे कुछ दिनो बाद मत्स्यीने वो गर्भ का अंडा यमुना तट पर रेत मे डाला ! उसे बक पंछीओने तोड डाला ! उसमे से एक बालक प्रकट हो गया ! वहा कामिक नाम का कोली था ! उसकी पत्नी शारद्वता ने उस बच्चे को संभाला ! उसका नाम मत्स्येंद्र रखा ! २) गोरक्षनाथ जन्म : मत्स्येन्द्रनाथजी भ्रमण करते हुए गोदावरी नदी के किनारे चन्द्रगिरि नामक स्थान पर पहुंचे और सरस्वती नाम की स्त्री के द्वार पर भिक्षा मांगने लगे! नि:संतान स्त्री भिक्षा लेकर बाहर ...